पूर्ण समर्पण | अनुभव एक सफल समर्पण की | मन के शांति की गारंटी | Prabhu s...
सादर सहृदय नमस्कार मेरे प्यारे भाइयों बहनों ।
जय जय श्री राधे कृष्णा ।
आज हम इस वीडियो में एक बहुत ही प्रेरणादाई अनमोल भावपूर्ण अनुभव के माध्यम से यह जानेंगे कि
समर्पण, शरणागति क्या है इसके क्या लाभ है? और
कैसे जाएं प्रभु शरण में ?
मेरे प्यारे दोस्तों समर्पण कोई साधना, पूजा-पाठ अथवा मंत्र जाप नहीं है ।
समर्पण तो हमारे हृदय का वह विशुद्ध भाव है जिसमें हम स्वयं को परमात्मा के प्रति अर्पण कर देतें हैं ।
समर्पण अर्थात स्वयं को अर्पण करना।
अर्थात
अपने जीवन नैया की पतवार , जिम्मेदारी परमात्मा के हाथों में सौंप देना है।
यह वो आत्मकल्याणकारी भाव है
जिसमें अपने बुद्धि , ज्ञान की श्रेष्ठता का भाव अर्थात अहं-अहंकार ही परमात्मा को अर्पण करना होता है ।
मेरे प्यारे दोस्तों लगभग पिछले 15 सालों से फेसबुक आदि सोशल मीडिया के माध्यम से समर्पण भाव ही बांटता रहा हूं।
क्योंकि प्रभु जी ने एक सच्चे गुरु के रूप में इसी भाव को ही बांटना जीवन का सर्वश्रेष्ठ सेवा मार्ग बताया है।
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वीडियो
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यह तो हमारे हृदय का एक विशुद्ध भाव मात्र हैं
जिसमें हमें अपने ज्ञान और बुद्धि की श्रेष्ठता का भाव ही परमात्मा को अर्पण करना होता है ।
इसलिए
आप जिसकी भी भक्ति करते हैं करते रहें ।
परंतु
समर्पण की प्रार्थना करते समय यह भूल जाएं कि आप किसके भक्त हैं ।
आपकी बुद्धि और ज्ञान में जो प्रभु श्री राम , श्री कृष्ण, शिव , निराकार-साकार , ईसा मसीह ,साईं राम , अल्लाह आदि के प्रति जो श्रेष्ठता का भाव है
वो सब भूल जाएं क्योंकि सबका मालिक एक है।
और निर्मल और निष्पक्ष भाव से प्रार्थना करें कि -
प्रार्थना नंबर -1
"हे जगदीश्वर" "हे जगत के आधार" मैं अपना जीवन आपको अर्पण करता हूं ।
मेरे जीवन के लिए क्या अच्छा है क्या बुरा अब आपकी जिम्मेदारी है।
प्रार्थना नंबर -2
"हे प्रभु" मैं नहीं जानता कि आप ईश्वर हैं या अल्लाह परंतु आप जो भी हैं जैसे भी हैं मैं अब अपने आप को आप की शरण में सौंपता हूं आप के सुपुर्द करता हूं इसे अब आप ही संभालिए।
प्रार्थना नंबर -3
"हे नाथ" अब अपने इस जीवन नैया की पतवार आपके हाथों में सौंपता हूं अब इस जीवन को आप ही संभालिए ।
आप इनमें से कोई भी प्रार्थना सुबह जागने के बाद बिस्तर पर ही बैठे बैठे अथवा रात में सोते समय भी कर सकते हैं ।
मेरे प्यारे भाइयों बहनों हम बचपन से ही जिस धर्म मजहब के संस्कारों के अनुसार पले और बड़े होते हैं ।
उनसे प्राप्त ज्ञान और उनके प्रति श्रेष्ठता का भाव-प्रभाव हमारे हृदय पर ऐसा होता है कि
हम अपने अहम का पूर्णतया त्याग नहीं कर पाते हैं।
इसलिए प्रातः स्नान के बाद एक लोटा यह अथवा एक अंजलि जल लेकर उसे गिराते हुए समर्पण की प्रार्थना एक बार जरूर करें।
ऐसा करने से हम परमात्मा के प्रति स्वयं को अर्पण करने के लिए संकल्पबद्ध हो जाते हैं ।
जिसके कारण यदि हमारे समर्पण भाव में अशुद्धि हो तो भी वह पूरक हो जाती है ।
इसलिए समर्पण की प्रार्थना कम से कम एक बार जल के साथ अवश्य करें
और
अपने बच्चों के जीवन को भी आरक्षित-सुरक्षित करने के लिए उनसे भी करवाएं ।
मेरे प्यारे भाइयों बहनों आपके इस सेवक की समर्पण की प्रेरणा कैसी लगी यह कमेंट में जरूर बताएं ।
यदि कोई जिज्ञासा अथवा प्रश्न हो तो कमेंट में जरूर लिखें।
आपकी जिज्ञासा ही मेरी प्रेरणा है।
जनहित में इस वीडियो को शेयर जरूर करें।
मैं इस चैनल के माध्यम से इससे भी अधिक भावपूर्ण और प्रेरणादाई अनुभव और भगवत प्रदत अनमोल ज्ञान प्रसाद बांटता रहूंगा ।
जिससे आपके जीवन में शांति प्रेम आनंद और अनंत भगवत कृपाओं का प्रादुर्भाव हो।
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इसी के साथ ही मैं इस वीडियो को यहीं विराम देता हूं
फिर मिलेंगे किसी प्रेरणादाई अनुभव के साथ।
प्रभु जी आप सभी को अपना निर्मल आश्रम प्रदान करें ।
।। जय श्री हरि ।।
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